वो मेरे साथिया…
मैं तेरा दीवाना हूँ,
दुनिया से बेगाना हूँ,
क्यों ना मुझको ज़ाने तू,
क्यों ना पहचाने तू,
बस इतनी सी है मेरी कहानी,
तेरी ख़ातिर मिली है ये ज़िंदगानी!!
मानो ना…..ये..मानो ना…..
वो मेरे साथिया…
तू मुझको ज़ान जायेगी,
मुझको पहचान जायेगी,
ये भी क़ोई दूरी है,
ये कैसी मज़बूरी है,
बस इतनी सी है मेरी कहानी,
तेरी ख़ातिर है ज़िन्दगी में रोशनी!!
मानो ना…ये..मानो ना…
वो मेरे साथिया…
अश्क़ों की बरसात है,
तेरा ख़्याल दिन-रात है,
कैसे मैं तुझको बतलाऊँ,
दिल को कैसे समझाऊँ,
बस इतनी सी है मेरी कहानी,
तेरी ख़ातिर है साँसों की रवानी!!
मानो ना….ये..मानो ना….
वो मेरे साथिया…
होंठो की फ़रमाईस है,
दुवाओं की आज़माइस है,
तेरे बिना मुझे ज़ीना नहीं,
ज़िंदगी का ज़हर मुझे पीना नहीं,
बस इतनी सी है मेरी कहानी,
तेरे बिन ज़िन्दगी नहीं है बितानी!!
मानो ना….ये..मानो ना….
वो मेरे साथिया…
आख़िर तू मुझको ज़ान गयी,
मुझको तू पहचान गयी,
तेरी बाहोँ में सोया हूँ,
तेरे लिए ही जागा हूँ,
बस इतनी सी है मेरी कहानी,
अब संग तेरे गुज़रेगी सारी ज़िंदगानी!!
मानो ना…ये..मानो ना…..
वो मेरे साथिया……
अच्छा गीत है डॉ. मोबीन
बहुत बहुत शुक्रिया शिशिर जी…..
सुन्दर गीत रचना मोबिन जी ! … फिल्म “एक बार मुस्कुरा दो” के गीत तू हमारी थी-जान से प्यारी थी की तर्ज़ पर बन पड़ा है !
शुक्रिया डी. के. जी..
आपकी इतनी बारीकी ज़ानकारी क़ाबिले तारीफ़ है…