करके बदनाम हमें नाम दिए जाते हैं-२
ऐसा था वैसा था तमाम कहे जाते हैं,
करके बदनाम हमें नाम दिए जाते हैं…….
बड़ी सिद्दत से तेरी चाह राखी थी हमने-२
चाहतो को मेरी नीलाम किये जाते हैं,
करके बदनाम हमें नाम दिए जाते हैं…….
तेरा सजदा किया था मैंने ख़ुदा से पहले-२
मेरी वफ़ा का वो इनाम दिए जाते हैं
करके बदमान हमें नाम दिए जाते हैं……..
अब वो कहते हैं, के तुम न रहे पहले से-२
खुद बदल के, हमे इलज़ाम दिए जाते हैं,
करके बदनाम हमें नाम दिए जाते हैं………
तेरी सुध में हमे दुनिया का कोई होश नहीं -२
शाम को सुबह, और सुबह को शाम कहे जाते हैं,
करके बदनाम हमें नाम दिए जाते हैं……….
जीत पे तेरी हमने सारी ज़िन्दगी हारी-२
अब वो हमीं को ही नाकाम कहे जाते हैं,
करके बदनाम हमे नाम दिए जाते हैं………
ऐसा था वैसा था तमाम कहे जाते हैं,
करके बदनाम हमे नाम दिए जाते हैं……..
अति सुन्दर …………!!
धन्यवाद सर जी…
Beautiful ghazal. End is specially wonderful.
धन्यवाद सर जी…
सुन्दर कविता है ..यथार्थ के नजदीक
धन्यवाद सर….