कभी किसी ने कहा था
“कैसे बताऊँ-प्यार कितना है
मापक ही नही मिलते”
बात तो सही है
मिलते तो प्रयोगशाला में जाँच होती
तिजोरी मे संभाल के रखे जाते
जिन्दगी बड़ी खूबसूरत होती
रिश्ते और परिचय
पहले मापक पर नपते
दिल टूटने का खौफ न होता
संगी साथी साथ ही होते
रिश्ते-नाते दूर न होते
सोने सा संसार होता
जीवन गुलशन गुलजार होता ।।
“मीना भारद्वाज”
वाह क्या खूब चिंतन हैं. बहुत सुन्दर
शुक्रिया शिशिर जी !!
अतिसुन्दर …..बहुत अच्छे मीना जी !
धन्यवाद निवातियाँ जी !!
बहूत खूबसूरत हर्ध्य को छूती हूई
रचना की सराहना के लिए आभार लक्ष्मण जी !
सुन्दर रचना मीना जी …
सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ओमेन्द्र जी !