“ख्वाब”
एक ख्वाब अधूरा सा,
ख्वाब पूरा ख्वाबों में है।
तिन वर्षो से है प्रयत्न,
हार हर वक्त हातों में है।
डगमगाता है जब विश्वास यहाँ,
तब डगमगाते हम भी है।
छोड़ देते है सभी,
तुम्हें इसी हाल में।
बस अब और नहीं,
रहना हमें इसी हाल में।
डगमगाए यहाँ जिंदगी ही सही,
पर डगमगाना न अब हमें है।
तिन वर्षो से है प्रयत्न,
हार का अब अंत हो।
एक ख्वाब अधूरा सा,
ख्वाब पूरा ख्वाबों में है।।
By Rina Baghele
such a fighter spirit..nice poem.
Thank you…& yes i am fighting for my dream.