भले ही वो प्यार पल भर के लिए ही था,
किसी ने हम से प्यार निभाया तो है l
तह दिल से उस हसीना का,
शुक्रिया अदा करते है हमl
जिस ने यह मंजिर हमें दिखाया तो है ll
भले ही वो प्यार ——–
जब तक न चोट लगती दिल पर,
कैसे पता चलता गम क्या होता है l
जब अपने ही चले जाते है गैर की बाँहों में,
तो कैसे दिल आहें भर कर रोता है l
यह शख्स जो हँसा करता था दुनिया के रंजोगम पर,
किसी ने इस को भी रुलाया तो है ll
भले ही वो प्यार ——–
क्यों किए बादे,
क्यों खाई झूठी कसमें l
गैर की बाँहों में जाने से पहले,
तू निभा तो जाती प्यार के रस्में l
हर औरत बफा नहीं करती,
बे-बफ़ाएं भी होती है औरतें l
यह सबक हमें सिखाया तो है ll
भले ही वो प्यार ——–
ऐ- खुदा ! आबाद बनाये रखना,
उस के हरे भरे संसार को l
जिस ने हमारें साथ न सही,
किसी और के साथ ही सही l
आशयां बनाया तो है ll
भले ही वो प्यार ——–
संजीव कालिया
खूबसूरत रचना …………!!
सराहने योग्य धन्यवाद –
धन्यवाद आपको कहता आप महान
खादी-खादी कहकर नेता और किसान|
मिली – जुली घोटाले नवीन पैगाम!
जागो जागो पहन स्वदेशी परिधान ||