सावन रातों में तुमबिन तन्हा गुजारा है |
बसंत आगमन तेरा आने का इशारा है |
तुझे याद कर कभी हँसना कभी रोना ,
तसव्वुर में खो जाना आदत हमारा है |
तूने दी थी निशानी बिछड़ने के पहेले ,
पुरानी खत,तस्वीर जीने का सहारा है |
वो बचपन की बाते याद जरा कर ,
मेरी ज़िंदगी रंगी नदिया, तू किनारा है |
ये जाने वफ़ा लौट आ मेरे शहर ,
दिल ने तुम्हें आज फिर पुकारा है |
कौन कहता है तुम्हें भूल गये है ,
जुबाँ में बस एक नाम तुम्हारा है |
Dushyant kumar patel ***