जाने वो बहार आयेगी कब तक ॰
पिया मिलन का इंतज़ार कब तक ।
न दिन बीते न रात कटे ,
राह से उसकी अब न नज़र हटे
वो तड़पाता है; पल पल हमें ,
रहे दिल उसके लिए बेक़रार कब तक,
पिया मिलन का…………
वो सावरा मन मीत मेरा ,
वो है होंठो का गीत मेरा
वो चित चोर हर जाई है !
रहेगा मुझसे वो दूर कब तक ,
पिया मिलन का………….
तू मेरा है हमदम मेरे,
तुझ पर कुर्बान है सारे जनम मेरे
मेरे दिल का तू विश्वास है
होगी जाने तुझसे मुलाकात कब तक…।
पिया मिलन का………….
जग सारा ये पागल है !
ये प्यार का मतलब क्या जाने ..
प्यार के हर एक बंधन को…
हम प्रेमी जाने या रब जाने.
हमारी मोहब्बत को मंजिल मिलेगी कब तक
पिया मिलन का इंतज़ार कब तक………….।
Bahut hi sunder kavita likhi gayi he .
प्रेम वियोग को दर्शाती भावपूर्ण रचना ..बहुत सुन्दर निर्मला जी …
कविता पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया शुक्ला सर!
Love feelings beautifully expressed. Great
आपने मेरी कविता को सराहा उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर सर!
प्रेम की खूबसूरत अनुभूति !! बहुत अच्छे !!
आपको मेरी रचना पसंद आई उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद निवतियाँ सर!