जब जब आता है ख्याल तेरा, आँखों में तस्वीर बन जाती है
आते ही लबो पे ये नाम तेरा, खुद ब खुद ग़ज़ल बन जाती है !!
क्या इसी का नाम मोहबत है, जो इस कदर हावी हो जाती है
दिखाई देता है तेरा ही अक्स, जिस तरफ भी नजर जाती है !!
वैसे तो नज़ारे देखे बहुत हमने इस दुनिया में बला ऐ हुस्न के
मगर कुछ तो ख़ास है जो ये नजर तुझपे जाके रुक जाती है !!
हुस्न का नायाब करिश्मा हो तुम, तुम्हे देख मौसम बदलते है
हटा लो जो नकाब चेहरे से, पतझड़ में भी बहार आ जाती है !!
नाक़फ़ी है तारीफ़ में तेरी हर एक शेर, हर ग़ज़ल, हर नज्म
सुहान अल्ला कह देने से ही तेरी कहानी बयान हो जाती है !!
मैंने पूछा लिया एक दिन मचलने की अदा का राज हवाओ से
इठलाती हुई जबाब में बस तेरा ही नाम लेकर बहती जाती है !!
ना पूछो यारो हाल ऐ दिल जनाब से “धर्म” का हाल बुरा है
इस कदर खोया है तुममे,सोते-जागते ही तेरी बात की जाती है !!
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—::—-डी. के. निवातियां —::—-
निवातियाँ जी अत्यंत खूबसूरत
हार्दिक आभार शिशिर जी …….!!
सुन्दर गज़ल निवातियाँ जी !!
धन्यवाद मीना जी ….!!
” तुम्हें देख मौसम बदलते हैं ” बहुत खूब निवातियां जी ।
धन्यवाद बिमला जी ….!!