चाँद की गुस्ताख़ी है,
सज़ा भुगतना है आपको!! १
ख़्वाब की फ़र्मैस है,
दिन भर तड़पना है आपको! २
रात भर नींद भी तोड़ो,
ग़ौसे बदलना है आपको!! ३
चाँद की गुस्ताख़ी है,
सज़ा भुगतना है आपको!! १
दूर है मज़िल हमारी,
हिम्मत से चलना है आपको! ४
राह-ए-सफ़र में काँटे हैं मग़र,
बचकर निकलना है आपको!! ५
चाँद की गुस्ताख़ी है,
सज़ा भुगतना है आपको!! १
चाहे आजाये तूफ़ान या ज़लज़ला,
इन सब से टकराना है आपको! ६
अब हमें मंज़िल नज़र आती है मोबीन,
बस हर हालात से लड़ना है आपको!! ७
चाँद की गुस्ताख़ी है,
सज़ा भुगतना है आपको!! १
प्रेरणा दायक रचना … बहुत खूब !!
बहुत बहुत शुक्रिया डी. के. जी।।।
सुन्दर अभिव्यक्ति …बहुत खूब मोबिन जी ..
Thank you Omendra ji….