हम उड़ते पंछी है, किसी के हाथ ना आयेंगे
लालच के चन्द दानो में हम फंस ना पायेंगे !!
हम आकाश में उड़ते है नजरे जमीं पे होती है
जहां टिका दे अपने पंजे वंहा से हिल न पाएंगे !!
जब ठान लेते है दिल की, फ़ना होने से ना डरते है
परवाने आशिक शमां के, जलने से डर ना पायेंगे !!
हम बे खौफ उड़ते है, तुफानो से अक्सर लड़ते है
हर वक़्त गर्दिश में रहते है, मौत से ना घबरायेंगे !!
रोज़ रंग बदलते देखा है इस बेदर्द जमाने को
गिरगिट की तरह से हम, रंग बदल ना पायेंगे !!
अपनी शर्तो पे जीता है “धर्म” काफ़िर जमाने में
मुबारक तुमको टेढ़ी चाल, हम इसपे चल ना पायेंगे !!
हम उड़ते पंछी है, किसी के हाथ ना आयेंगे
लालच के चन्द दानो में हम फंस ना पायेंगे !!
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डी. के. निवातिया……………
बहुत खूब रचना व्यक्तित्व के ऊपर
धन्यवाद शिशिर जी !!
खूबसूरत रचना ..सुन्दर शब्द संयोजन ..बहुत खूब निवातिया जी ..
शुक्रिया ओमेन्द्र जी ..!!
सुन्दर भावपूर्ण रचना निवातियाँ जी !
Many many thanks Meena Ji
बहुत ही अच्छी कविता है आपकी।
ँ
शुक्रिया जुबेर ……!!