प्रफुल्लित मन है
मौसम भी चंचल है
मन में विचारों का सागर
लक्ष्य हिमालय सा अटल है,
खुशियों की मुस्कानों का
फूलों की महक का
हर आंगन में सार है,
पक्षियों का मीठा कलरव
फूल पत्तियों का संगीत
निशा ने भी दिया है
भोर को एक नया गीत,
सूरज की पहली किरण
आंगन को छू कर चली है
चांद की चांदनी
बन कर उजाला
जीवन में फैली है,
मौसम बिखरा है
हजार खुशियों का
और शुभकामनाओं का
मुक्त करो कल्पनाऐं
पूर्ण होंगी आकांक्षाऐं
सृजन होगा
उन्मुक्त आकाश का।
…….. कमल जोशी …….
बहुत अच्छे ……….!!
Dhanyavad Sir