वह चांद जैसी लड़की
इस दिल पर छा रही
बातें उसकी प्यारी प्यारी
हर अदा उसकी निराली
मुझको प्यार बतला रही
आंखों में उसकी शरारतें
होंठों पे छायी मुस्कुराहटें
खूशबू बिखराती वो जुल्फें
मुझको आशिकी समझा रही,
देखकर तुमको हमने जाना
दी नहीं खुदा ने
क्यों चांद को आंखें
गर होती उसकी आंखें
तो देख तुम्हारी चांदनी
वह कहीं भाग जाता
दूर बादलों में
कहीं वो छुप जाता
घमण्ड उसका चूर हो जाता,
यह छोटे छोटे सितारे
तुम्हें क्या चमकायेंगे
आईना दिखा दो जरा इन्हें
अपनी चमक से ही बिखर जायेंगे
तुममे तो वह चमक है
जो हर सुबह निखर आयेगी
वह चांद जैसी लड़की
मेरी दुनिया को
चांदनी सा महकायेगी
वह चांद जैसी लड़की।
………. कमल जोशी ………
अतिश्योक्ति का बखूबी चित्रण