ऐ-काश के ऐसा हो जाता,
तेरी लबों पे बस मेरा नाम होता…
तेरी सुबह मैं,तेरी रातें मैं,
और मैं ही तेरा शाम होता…
तूँ भी रहती बेचैन सी यूँ,
जिस क़दर बेताब मैं रहता हूँ…
रहता इंतेजार बस मेरा ही,
तेरी सुनी आँखों मे…
इसके सिवा मेरे-“इंदर” तुझे,
और न कोई काम होता…
ऐ-काश के ऐसा हो जाता,
तेरी लबों पे बस मेरा नाम होता…
Acct- इंदर भोले नाथ…
ह्रदय के अरमानो को अच्छे शब्द दिए है !!
बहुत बहुत शुक्रिया आपका निवातियाँ डी. के. जी