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तेरे बग़ैर ज़िंदगी ये ज़िंदगी नहीं !!
तू खुश नहीं तो पास मेरे भी ख़ुशी नहीं !!
मैं मिल नहीं सका तो ये कैसे समझ लिया !!
हमको है तुमसे प्यार नहीं दोस्ती नहीं !!
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tere bagair zindgi ye zindgi nahi !!
tu khush nahi to pas mere bhi khushi nahi !!
mai mil nahi saka to ye kaise samajh liya !!
hamko hai tumse pyar nahi dosti nahi !!
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सलीम रज़ा रीवा – 9981728122
muktak,qataa by salimraza rewa
मैं आपसे सहमत हूँ.. दोस्ती दोस्ती होती है और प्यार प्यार.
बहुत बहुत शुक्रिया
अति सुन्दर …. प्रेम और दोस्ती दोनों हो एक दूसरे के पूरक है !!
बहुत बहुत शुक्रिया
बहुत खूब लिखा है आपने
बहुत बहुत धन्यवाद तिवारी जी