वतन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ अमन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओooबहारों से नज़ारों से सितारों से नहीं मतलब नयन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओooगुलो गुलशन कली औ फूल शबनम मन को भाते हैचमन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओooनही शिकवा शिकायत रूठने की बात मत करनामिलन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओooबिना समझे न ढूंढो ऐब मेरी शायरी में तुमसुख़न की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ__________________________ सलीम रज़ा रीवा
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
अति सुन्दर ………!!
THANKS DK SAHAB
बेहद खूबसूरत…..बहुत देर बाद ग़ज़ल पढ़ी आपकी….”भाते है” में “हैं’ होगा….”न तो शिकवा शिकायत रूठने की बात मत करना”…. मुझे लगता इसमें अगर शिकायत के बाद कॉमा लगाएं तो दो वाक्य बनने से ज्यादा साफ़ मतलब निकलेगा….जो व्याकरण है इसका…मुझे लगता की “न तो शिकवा शिकायत रूठने की बात मत करना” ‘न’ और ‘मत’ का टकराव होता है इसमें या फिर ‘मत’ की जगह ‘ही’ सोच के देखें क्या रवानगी आपके भाव से सही आती है अगर आप कामा नहीं लगाना चाहते…. आप ज्यादा माहिर हैं ग़ज़ल में मुझे यहां अड़चन पढ़ने में लगती उस हिसाब से बोला आदरणीय….अन्यथा न लें…मार्गदर्शन अभिलाषी हूँ….
आपकी एक और ग़ज़ल है….जब तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे….उसपर कमैंट्स नहीं जा रहे…देखिये उसको भी….मुझे लगता इस से बड़े रदीफ़ की ग़ज़ल कोई नहीं होगी….हाहाहाहा…. बधाई आपको…ऐसी ग़ज़ल रचने के लिए….बहुत मशक्क्त की है आपने….
सी. एम. शर्मा जी, आपकी मुहब्बत के लिए शुक्रिया,
आप सही कह रहे हैं न तो की जगह नहीं ज़्यादा सही है,,
……
ये मेरी दोनों ग़ज़ल सबसे लंबी रदीफ़ है और सबसे छोटा क़फ़िया की ग़ज़ल हैं,
ये मेरा experiment है जो,
दूसरी ग़ज़ल है उतना छोटा क़ाफ़िया और उतनी लंबी रदीफ़ इतिहास में नहीं है,…
बहर हाल आपकी की मुहब्बत का दिली शुक्रिया…
Nice Sir
Thanks Manish Ji