बड़े अजीब ख्यालात दुनिया के
दुःख बिन सुख की चाह रखते है !
चाहत है सबको स्वर्ग पाने की
मगर मरने से सब इंसान डरते है !
स्वस्थ शरीर प्राथमिकता सबकी
पर कसरत के लिए बहाने करते है !
चाहत उनकी झोलिया भरने की
कर्म करने से अक्सर पीछे हटते है !
कैसे जागेगा भला मुकद्दर उनका
जो सिर्फ किस्मत पे भरोसा करते है !
मानो या न मानो बात ये सच्ची है
सुकर्म ही असली भाग्य की कुंजी है
बनती है आदते हम लोगो की वैसी
जिस तरह के माहोल में हम रहते है !
होते है सफल वो ही अपने मकसद में
जो खुद के लिए कुछ अपना त्याग करते है !!
इंसान की सोच ही वास्तविक जीवन का आधार होती है
सकारात्मक विचारी से ही जीवन में समृद्धि मिलती है !!
!
!
!
डी. के. निवातिया
++++++++++++
व्यवहारिक सत्य का खूबसूरत चित्रण
हार्दिक आभार शिशिर जी !!
Niwatiyan sir aap ki har rachana prerana bhari hoti hai…..
Thanks Anuj…… Aap logo ke pyaar aur protsahan se hi hume prerna milti hai .
सुन्दर रचना के साथ साथ सकारात्मक उपदेश.बहुत अच्छा लिखते हैं निवातियाँ जी!
शुक्रिया मीना जी …हार्दिक आभार !!
जीवन की सच्चाई…….लाजवाब……..