एकजुट हो ज़ाओ वतन के रखवालों,
इस चमन की हालत बहुत ख़राब है।।
हर तरफ़ इंसानियत के दिखे दुश्मन,
इंसानों का साँस लेना दुस्वार है।।
खुद से पूछोगे अग़र, तो ज़वाब मिल जायेगा,
वक़्त नहीं ख़राब, हम ही ख़राब हैं।।
एकजुट हो ज़ाओ वतन के रखवालों,
इस चमन की हालत बहुत ख़राब है।।
बहुत खूब……….!
Thank you Asma Khan ji..
समरसता का आह्वान करती अच्छी रचना !!
शुक्रिया डी. के. जी……
WAH! KYA LIKHA HAI
शुक्रिया राजू जी…..