चहरा चाँद सा रोशन रौनक इन फिजाओं मे !
तेरी दिलकस अदाओं के बड़े चर्चे हैं राहों में !!
नशा ये मय का है या फिर रंगत हुस्न ने लाई !
दुनिया गुम सी लगती है नशीली इन निगाहों में !!
नहीं कोई चाह बाकी है ना तो परवाह जन्नत की !
आसरा मिल अगर जाये जुल्फों की पनाहों में !!
मुकम्मल हो ना हो गुल को बुलबुल की चहक प्यारी !
तराने छेड़ ही जाती बहकी इन हवाओं मे !!
कर के ईबादत लाख मन्नत हमनें भी माँगी !
जन्नत है कहीं शायद बस तेरी ही बाहों में !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”
अनुज बहुत खूबसूरत रचना
Thanks Shiahir ji
उम्दा ग़ज़ल, बहुत अच्छे अनुज !!
Thanks Niwatiya ji
खुबसूरत जज्बात ………
Thanks Sandhya ji
बहुत ही शानदार अनुज भाई ..मजा आ गया ..
Thanks Shukla ji