जाड़ों का मौसम …
लो, फिर आ गया जाड़ों का मौसम ,
पहाड़ों ने ओढ़ ली चादर धूप की
किरणें करने लगी अठखेली झरनों से
चुपके से फिर देख ले उसमें अपना रूप ।
ओस भी इतराने लगी है
सुबह के ताले की चाबी
जो उसके हाथ लगी है ।
भीगे पत्तों को अपने पे
गुरूर हो चला है
आजकल है मालामाल
जेबें मोतियों से भरीं हैं ।
धुंध खेले आँख मिचोली
हवाओं से
फिर थक के सो जाए
वादियों की गोद में ।
आसमान सवरने में मसरूफ है
सूरज इक ज़रा मुस्कुरा दे
तो शाम को
शरमा के सुर्ख लाल हो जाए ।
बर्फीली हवाएं देती थपकियाँ रात को
चुपचाप सो जाए वो
करवट लेकर …
— स्वाति नैथानी
सर्दी का सुन्दर काव्यात्मक चित्रण
मौसम के माध्यम से प्रकृति का मनमोहक चित्रण !!
प्रक्रति का सुन्दर चित्रण
बेहतरीन
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