Homeकमल जोशीवेदना वेदना K K JOSHI कमल जोशी 30/12/2015 No Comments झूम रहा दावानल मन में अंगार लिये हिमबर्फ भी पिघली बंजर में बयार लिये मुक्त हुई मेघ कलाऐं छद्म अलंकार लिये ज्वालाऐं भी बहकी बुझते अहंकार लिये हृदय के पुष्प महके कांटों में प्रहार लिये वेदनाऐं भी हुई साक्षी प्रेम का उपहार लिये। …. कमल जोशी…. Tweet Pin It Related Posts मंजिल सुप्रभात तितलियां About The Author K K JOSHI Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.