“हर बाते अधूरी होती है
हर सपने अधूरे होते है
उस प्यारी लड़की के बिन
हर एहसास अधूरे होते है ,
वो वादे हर पल जीने के
वो मरने की कसमे खाना
बहलाना मुझको बातों से अपनी
फिर रुठने का अभिनय करना ,
कॉलेज का वो पहला दिन
और देर से तेरा हर पल आना
तेरी राहों को तकती नज़रों को
थोड़ा सा फिर सकून दिलाना ,
विद्यालय के उस प्रांगण में
सखियों संग जलक्रीड़ा करना
होके खड़े वृक्षों की ओट में
फिर चुपके-चुपके तुझको तकना,
होना खुद से बेखबर कभी जब
तेरे मधुर मुस्कानों के बिन
मै कैसे कह दू जीपाउँगा
उस प्यारी सी लड़की के बिन,
जीवन के इस अठखेलियों में
समय का निरंतर बीतते जाना
होना बेसुध मित्रो संग
और खुदको सपनों में पाना,
वो रातों को नींद ना मुझको आना
सुबह कॉलेज जल्दी पहुंच जाना
शाम को आखिरी बस के जाने तक,
खुद को प्यार में तेरे व्याकुल पाना
फिर सहसा वक्त वो ऐसा आना
जब मुझे देखने वालों का घर आना
और परिणय की फिर बाते होना ,
बनना मूक दर्शक और विरोध ना फिर मुझसे होना
क्यूँ खोये हो सपनों में उसके
ऐसा बड़की भाभी का पूछना
तस्वीर रखी हु टेबल पे उसकी
एक नजर उसको भी देखना ,
असमंजस में खुद को पाना
उस प्यारी सी लड़की के बिन
ना जीवन का उद्देश्य नजर आना
उस प्यारी सी लड़की के बिन ,
वो छोटी बहना का मुझे रिझाना
शादी के लिए फिर मुझे मनाना
वो कलमुही ना है योग्य तुम्हारे
ऐसा उसको कहते पाना ,
करने पे इंकार शादी के प्रस्तावों को
वो माँ का मुझसे गुस्सा हो जाना
सेहत का भी थोड़ा सा ध्यान रखो
पिताजी से ऐसी हिदायत पाना ,
किससे कहु मै अपनी ह्रदय व्यथा
उस प्यारी सी लड़की के बिन
जीना मुश्किल अब तो लगता है
उस प्यारी सी लड़की के बिन ||”
किशोरावस्था काल की व्यथा पर सुंदर अभिव्यक्ति !!
सराहना के लिए बहुत-बहुत आभार निवतिया जी …
मैं भी निवातिया जी की प्रतिक्रिया से सहमत हूँ
धन्यवाद शिशिर जी