पूछा जो एक दिन हमने यार से
किसी और के होने लगे हो क्या..!
मुस्कुरा कर उनसे मिला जबाब
ये बताओ पहले तुम्हारे थे क्या..!!
सुनकर जबाब उनका
बोलती हमारी बंद हो गयी
हसकर वो फिर बोल पड़े
जबाब में कोई गलती हो गयी !!
सहसा धीरे से होठ हिले
हम भी प्रत्युत्तर में बोल पड़े
हमारे होते तो ये सवाल नही होता !
गर होता सवाल भी तो जबाब ये नही होता !!
अगर तुम हमारे होते
तो जबाब कुछ इस तरह से आया होता
जब हम अपने ही नही रहे तो
तो किसी और के होने का सवाल ही नही होता !!
माना के सवाल गलत था
पर इरादो को भी तुमने गलत समझा क्या !
एक हो चुकी धड़कन कब की
फिर जिस्म अपने जुदा रहे भी तो क्या !!
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@@@___डी. के. निवतियाँ [email protected]@@
काफी अच्छी रचना धर्मेन्द्र जी …
शुक्रिया ओमेन्द्र जी !
बहुत खूबसूरत अंदाज ……..
धन्यवाद शिशिर जी !!
बहुत बहुत सुन्दर
शुक्रिया टिशू !!
Bahut badhiya kavya sankalan Nivatiya ji kaafi rochak or umda
Thanks Kamlesh Ji.