Homeअज्ञात कविमाँ बाप के प्रति माँ बाप के प्रति गोपू चार्ली अज्ञात कवि 23/12/2015 No Comments उम्रभर उनके आँखोँ के हम सरताज होते हैँ, हमारी ऊँचाइयोँ के आधार माँ-बाप होते हैँ, मिटा खुद को अपना भी वजूद दे दिया फिर क्योँ, वही बुढापे मेँ हमारे सहारे के मोहताज होते हैँ। Tweet Pin It Related Posts अमीर-गरीब ‘‘हवस’’ एक फैसले के साइड इफेक्ट्स About The Author गोपू चार्ली Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.