Homeअज्ञात कविदेश के प्रति देश के प्रति गोपू चार्ली अज्ञात कवि 23/12/2015 No Comments एक दिन देश विकास की दौड से निकल जायेगा, बचा लीजिए इस देश को वर्ना बन कर रेत मुट्ठी से फिसल जायेगा, देश की मिट्टी आवाज दे रही, तुम्हारे जुनून को, बिना दुनिया को रोशनी दिये ही, बनकर मोम खुद की गर्मी से पिघल जायेगा। Tweet Pin It Related Posts आशाओं के दीप जलाना। नया साल मुबारक – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा (बिन्दु) धन हे – मधु तिवारी About The Author गोपू चार्ली Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.