तेरे चरनन पर बलिहारी
मेरे गिरधर कृष्ण मुरारी
कृपा तेरी का बनु मैं अधिकारी
मेरे गिरधर कृष्ण मुरारी
तेरे दर्शन का मैं अभिलाषी
इस मन को बना दो काशी
तुम दाता मेरे, मै तेरा भिखारी
मेरे गिरधर कृष्ण मुरारी
कइयों को तुमने है तारा
भवसागर पार उतारा
कब आएगी अब मेरी बारी
मेरे गिरधर कृष्ण मुरारी
झूठी ये मोह और माया
अपनी कृपा की करदो छाया
तुम ही हो सच्चे हितकारी
मेरे गिरधर कृष्ण मुरारी
मुझ दीन को तेरा सहारा
मैं मझदार , तुम हो किनारा
दया सागर हो तुम मेरे बनवारी
मेरे गिरधर कृष्ण मुरारी
अंत समय की हो जब बेला
और अपनों का लगा हो मेला
तब तुम पकड़ना बांह हमारी
मेरे गिरधर कृष्ण मुरारी
तेरे चरनन पर बलिहारी
मेरे गिरधर कृष्ण मुरारी
कृपा तेरी का बनु मैं अधिकारी
मेरे गिरधर कृष्ण मुरारी
हितेश कुमार शर्मा
Bahut sunder bhajan
मन भावन भजन …..!!