उठ खड़े हो कर जतन
रुकना नहीं, चलते चल.
हो भले राहों में कांटे भी,
अपना उन्हें, हो अग्रसर ,
रुकना नहीं, चलते चल.
बदल राह, लक्ष्य न बदल.
दृढ़ संकल्प कर प्रबल,
रुकना नहीं, चलते चल.
हर डगर, नया सफर हैं
हर ज़िन्दगी का, खूबसूरत मंज़र हैं,
कोई राह नही हैं बंद,
बस, होंसला कर बुलंद.
रुकना नहीं, चलते चल.
एक प्रेरक रचना !! बहुत अच्छे !!
THANK YOU!!!!
धन्यवाद आपको !!!