ग़ज़ल
न मुश्किलों से न ज़ोरे जफ़ा से डरते हैं,
ग़में हयात की काली घटा से डरते हैं,
कभी वफ़ा से कभी बे वफ़ा से डरते हैं,
निग़ाहें नाज़ की क़ातिल अदा से डरते हैं,
हमारी कोशिशें रहती है उनको ख़ुश करना ,
किसी ग़रीब की हम बद्दुआ से डरते हैं ,
बड़ा सुकून है चैनो क़रार है दिल को,
बदलते दौर की आबो हवा से डरते हैं,
जिन्हें है ज़ुल्म सितम करने से सदा मतलब,
न वो ज़माने न ख़ौफ़े ख़ुदा से डरते हैं,
नहीं सलीक़े की कोई ग़ज़ल हुई अब तक,
हरेक शेर के अब इब्तदा से डरते हैं,
SALIMRAZA REWA 9981728122