Homeघनानंदस्याम घटा लपटी थिर बीज स्याम घटा लपटी थिर बीज शुभाष घनानंद 25/02/2012 No Comments स्याम घटा लपटी थिर बीज कि सौहै अमावस-अंक उज्यारी। धूप के पुंज मैं ज्वाल की माल सी पै दृग-सीतलता-सुख-कारी। कै छवि छायो सिंगार निहारि सुजान-तिया-तन-दीपति प्यारी। कैसी फ़बी घनआनँद चोपनि सों पहिरी चुनि साँवरी सारी॥ Tweet Pin It Related Posts भोर तें साँझ लौ कानन ओर निहारति परकाजहि देह को धारि फिरौ प्रीतम सुजान मेरे हित के About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.