Homeघनानंदभोर तें साँझ लौ कानन ओर निहारति भोर तें साँझ लौ कानन ओर निहारति शुभाष घनानंद 25/02/2012 No Comments सवैया भोर तें साँझ लौ कानन ओर निहारति बावरी नेकु न हारति। साँझ तें भोर लौं तारनि ताकिबो तारनि सों इकतार न टारति। जौ कहूँ भावतो दीठि परै घनआनँद आँसुनि औसर गारति। मोहन-सोहन जोहन की लगियै रहै आँखिन के उर आरति।। 6 ।। Tweet Pin It Related Posts सोंधे की बास उसासहि रोकति दसन बसन बोली भरि ए रहे गुलाल हीन भएँ जल मीन अधीन About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.