तुझे यादों से मिटाने की कोशिश
मेरे होंठो पे तेरा नाम ना लाने की कोशिश
पर्वत की ऊंचाई से केवल तुझे देखने की कोशिश
आसमान के तारों में तुझे ढूंढने की कोशिश
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघरों में तुझे ढूंढने की कोशिश
मेरे हांथों की लकीरों में तेरा चेहरा ढूंढने की कोशिश
हे रब तेरी इच्छा के सामने मेरी हर कोशिश, कोशिश ही रह गई
– काजल / अर्चना
प्रेम और विरह के सन्दर्भ में आपने कोशिश शब्द को बहुत अच्छे से परिभाषित किया है. रचना में दर्द भी झलकता है.