मेरी सिमरन तेरा गुलसन
तु क्यो दुर गया
हम तडप तडप रहे
तु क्यो दुर गया रे तु क्यो दुर गया रे
मेरे दिल के फुल
अब ना जाना भुल
दिल तेरा सागर है
मै तो दरिया रे
प्रेम तपन को तडपाये
तु क्यो दुर गया रे
तुमसा फुल मिला ना हमको
हमसी खुशबु मिले ना तुझको
इतना क्यो तडपाये रे
खुशबु से मिला
तु अपने नैन
दिन को रहे उदास
रात को ना मिला चैन
इतना क्यो सताए रे तु क्यो दुर गया रे
तु अमर की रोनक
तु कलियो की जनत
मेरा चांद सा दिल
हे तेरी हसरत
इतना क्यो याद आए रे
तु क्यो दुर गया रे
आया तु हंसी बनकर
दिल मेरा फूलों मे सजाकर
हंसी को बनाकर
अब क्यों रूलाए रे
तु क्यो दुर गया रे
पेड से पते गिरे
नया सावन मिले
इस सावन में हम मिले
तब चाहत के फुल खिले
उन फुलों को होठो पर सजा रे
तु क्यो दुर गया रे
भौरे को खुशबु को चुगना
तुम्हे क्या गबराना
तडप पे दिल को कभी याद करना
अब तो आजा रे
तु क्यो दुर गया रे
मोसम बदले जीवन बदले
रात को लेते करवटे
दिल के होते दुकडे
तु क्यो नही आया रे
तु क्यो दुर गया रे
मिलन हमारी चाहत
चाहत है नदिया
प्यार हमारा सागर है
तु नदी है मै तो झरना रे
अब तो आजा रे
तु क्यों दुर गया रे
होठो से तुझे चुम्मा आखों पर सजाया
कितने दिन के बाद अब तु आया
अब प्यास बुझारे
तु क्यो दुर गया रे
तु मिलने आया
खुशी का चांद मुस्कुराया
दिल के फुल खिल खिलायें
अब क्यों तडपाए रे
तु क्यों दुर गया रे