Homeघनानंदपिय के अनुराग सुहाग भरी पिय के अनुराग सुहाग भरी शुभाष घनानंद 25/02/2012 No Comments पिय के अनुराग सुहाग भरी, रति हेरौ न पावत रूप रफै । रिझवारि महा रसरासि खिलार, सुगावत गारि बजाय डफै ॥ अति ही सुकुमार उरोजन भार, भर मधुरी ड्ग, लंक लफै । लपटै ’घनआनँद’ घायल ह्वैं, दग पागल छवै गुजरी गुलफै ॥ Tweet Pin It Related Posts क्यों हँसि हेरि हियरा खेलत खिलार गुन-आगर उदार राधा जासों प्रीति ताहि निठुराई About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.