पास वो भी आना चाहते है
दूरिया हमे भी गंवारा नही !
जताते हक़ हमसफर जैसा
साथ कुछ पल बिताना नही !
नजरो से चाहत के जाम छलकाते
प्रेम के दो घूँट पिलाने का वादा नही !
मोहब्बत का असर है बातो में
जाहिर करने का इरादा नही !
कभी चले दो कदम संग-संग
लगता ऐसा भी कोई इरादा नही !
अगर आती है उनको शर्म ओ हया
हम भी बेगैरत का कोई पिटारा नही !
गर वो बनते है पाकीजा की मिसाल
उसूलो से गिरना हमे भी गंवारा नही !!
!
!
!
—::—डी. के. निवातियाँ —::—
बहुत खूबसूरत कविता है आपकी डी.के जी।
धन्यवाद मञ्जूषा !!
जय हो……..सर
धन्यवाद कबीर !!
Nivatiyaa jee bahut sunder a daze baya
धन्यवाद शिशिर जी !!
असमंजस के माहौल को सुंदर तरीके से बँया किया आपने । बहुत खूब ।
धन्यवाद राज जी !