Homeघनानंदझलकै अति सुन्दर आनन गौर झलकै अति सुन्दर आनन गौर शुभाष घनानंद 25/02/2012 No Comments झलकै अति सुन्दर आनन गौर, छके दृग राजत काननि छ्वै। हँसि बोलनि मैं छबि फूलन की बरषा, उर ऊपर जाति है ह्वै। लट लोल कपोल कलोल करैं, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै। अंग अंग तरंग उठै दुति की, परिहे मनौ रूप अबै धर च्वै।।4।। Tweet Pin It Related Posts बरसै तरसै सरसै अरसै न् कहाँ एतौ पानिप बिचारी पिचकारी धरै क्यों हँसि हेरि हियरा About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.