क़ानून तो सिर्फ़ है, मोहताज़ लोगों के लिए।
गुनेहगारों को बचाने के लिए सिफारिशें हो जाती हैं।।
लाख कोशिशों के बाद भी ज़ुर्म ख़त्म होता नहीं।
इस जहाँन में आये दिन लाखों खताएं हो ज़ाती हैं।।
अब कैसे कोई मज़लूम इंसाफ की उम्मीद रखे।
ज़ब बे-गुनेहगारों को बे-वज़ह सज़ाएं हो जाती हैं।।
bahut hi achhi hai.
Shukriya Sandeep ji..
अति सुंदर …………..!!
Shukriya D.K. Ji….
क्या बात है मोबीन जी , खरा सच कहा आपने ।
Thank you…..?
सच लिखा अपने………