आसमा तक जाकर हमें,
तारे जमी पर लाना हैं,
रास्ते हो जाए कितनी भी लम्बी,
मंजिल को तो पाना हैं….
हर गम को सहकर,
मंजिल के उस छोर तक जाना हैं,
हर उदास चेहरे पे,
मुस्कान तो लाना हैं,
आसमा तक जाकर हमें,
तारे जमि पर लाना हैं….
हर पर्वत का शीर्ष झुकाना है,
रास्ते हमें खुद बनाना हैं,
नदी,झरने और सागर की तरह,
हमें भी साथ-साथ लहराना हैं,..
हर लहराती लहरो से टकरा कर,
नौका पार कर जाना हैं,
आसमा तक जाकर हमें,
तारे जमी पर लाना हैं….
पंछि से हमने सीखा,
उड़ते गगन को चुमना,
मौसम हो जाए कितनी बुरी,
गगन में उड़ते रहना,
साँसे भी टुट जाए,
जग भी छुट जाए,
मौत भी आ जाए गम नहीं,
तकदीर से लड़कर मंजिल को पाना हैं,
आसमा तक जाकर हमें,
तार जमी पर लाना हैं……!!
@md.juber husain
आशाओ से परिपूर्ण एक प्रेरक रचना !! बहुत अच्छे जुबेर !
*thanks sir