एक पंछि की हैं कहानी,
बस प्रेम को निभाना था,
टुटे हुए थे पंख उनके,
फिर भी उड़ के जाना था…
उसी रात आना था तुफान,
तुफान तो चला गया,
टुट गई वह डाली,
जिनपर उसका आसियाना था…
दिल पर था गमों का बोझ,
खुशि का तो एक बहाना था,
एक पंछि की हैं कहानी,
बस प्रेम को निभाना था,
टुटे हुए थे पंख उनके,
फिर भी उड़ के जाना था…
बस शाम ही था न हुआ सवेरा,
काली रात घंघोर अंधेरा,
एक पंख था मुरझाया,
बस एक पंख से ना उड़ पाया,
रोता रहा किस्मत पर,
फिर भी न भाग्य बदल पाया,
एक प्रेमी के खातीर,
खुद को कितना तड़पाया…
टुट गई साँसे उनकी,
फिर भी प्रेम ना निभा पाया,
एक पंछि की हैं कहानी,
बस प्रेम को निभाना था,
टुटे हुए थे पंख उनके,
फिर भी उड़ के जाना था…!!
@md.juber husain
मजबूरीयों पर आपने अच्छा लिखा है
अच्छी कविता है आपकी !!!
विवशता के बावजूद प्रेम के प्रति निष्ठा का परिचय पंछी के माध्यम से जज्बातों को सुन्दर शब्द दिए है !!
बहुत अच्छे जुबेर !!