Homeअज्ञात कविशायरी शायरी virendra अज्ञात कवि 28/11/2015 No Comments बाटना सीख मुस्कराहट को हर सांस को बोझिल न बना , बहना सीख लेहरो की तरह अपने जीवन को स्थिर साहिल न बना , माना के संघर्ष आसान नहीं है जीने के लिए , थोड़ी सी हिम्मत और दे लेकिन मुझे बुझदिल न बना || Tweet Pin It Related Posts मैं हूँ गुड़िया तेरी बाबा तिनका….. काजल सोनी उठता धुआँ About The Author virendra Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.