Homeगंगादासबोए पेड़ बबूल के, खाना चाहे दाख बोए पेड़ बबूल के, खाना चाहे दाख शुभाष गंगादास 24/02/2012 No Comments बोए पेड़ बबूल के, खाना चाहे दाख । ये गुन मत परकट करे, मनके मन में राख ।। मनके मन में राख, मनोरथ झूठे तेरे । ये आगम के कथन, कदी फिरते ना फेरे ।। गंगादास कह मूढ़ समय बीती जब रोए । दाख कहाँ से खाए पेड़ कीकर के बोए ।। Tweet Pin It Related Posts देखा देखी जोग से जोगी रोगी होय सोई जानो जगत में, उत्तम जीव सुभाग बंधन तो कट जायेंगे, जो लायकवर होय About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.