इस जहांन को ना जाने खुदा,
किस की नजर लगी है।।
मोहब्बत की नदी बहती थी जहां,
खून की नदी वहीं पर बही है।।
कल तक गमों में साथ थे हम,
अब हमारा साथ ही दुःखों की वज़ह बनी है।।
इस जहांन को ना जाने खुदा,
किस की नजर लगी है।।।
हालात से पहले डर ही नहीं था,
अब हालात खुद ही हमसे डरी है।।
ख्वाहिश अपनी सब भूल गए,
उनकी ख्वाहिश ना हो पूरी इस पर दुनिया अड़ी है।।
इस जहांन को ना जाने खुदा,
किस की नजर लगी है।।
दो बोल मोहब्बत के बोलो,
क्यू नफरत की झड़ी लगी है।।
कांटे तो रास्ते पर मत लगाओ,
वैसे भी इस बार फूलों की कमी खली है।।
इस जहांन को ना जाने खुदा,
किस की नजर लगी है।।
अब तुमसे है उम्मीद मोबीन,
कुछ काम अजूबा कर जाओ।।
उनके दिलों में मोहब्बत भर दो,
जिनके दिलों में नफरत की आग लगी है।।
इस जहांन को ना जाने खुदा,
किस की नजर लगी है।।
Good work….keep it up!!
shukriya swetarchi ji..
देश प्रेम से ओत प्रोत शानदार गीत ….!!
thanks D.K. Nivatiya ji☺