तेवरी । छिपा हुआ हैवान है ।
थोथी बातें ज्ञान की ।
बस अपने सम्मान की । सच का नही निसान है ।।
पर निकले है ठूठ के ।
लुट जाते है लूट के । झूठी उनकी शान है ।।
बिना मांस बिन हाड़ का ।
चलता यहा जुगाड़ का । मेरा देश महान है ।।
बचो स्वयं के दाप से ।
दो डग वाले सांप से । डरा हुआ सम्मान है ।।
पिये हवस रस सोम का ।
चादर ओढ़े मोम का । खुद का वो भगवान है ।।
नर पंछी पशु गात है ।
अधम हो रहा खात है । छिपा हुआ हैवान है ।।
दुर्गुण को संहार दे ।
जन जन को तू प्यार दे । दो दिन का मेहमान है ।।
@राम केश मिश्र
हृदय को छूती लयबद्ध प्रशंसनीय रचना के लिए आपका आभार …………….