तोड़ा चमन से यह फूल
मैंने तेरे लिये
कांटे चुभे मेरे हाथों में
हुई उंगलियां मेरी लहूलुहान
पर खुशी थी मुझे
तोड़ा चमन से यह फूल
मैंने तेरे लिये
महके इसकी खूशबू से
जीवन का हर कोना
चमके तेरा आंचल इसलिये
तोड़ा चमन से यह फूल
मैंने तेरे लिये
तुम्हारी ही कमी है जीवन में
है सब कुछ नीरस तुम बिन
जी सकूं तुम्हारी याद में इसलिये
तोड़ा चमन से यह फूल
मैंने तेरे लिये।
………………… कमल जोशी
बेहतरीन पंक्तिया….