दुनिया से आजाद हूँ आजाद रहूँगा,
मगर तेरे ख्यालो का गुलाम रहूँगा
रखता हूँ दुनिया के अपने कदमो में
एक बस तुझे अपना सरताज कहूँगा
न कभी डरा हूँ न डरूंगा मुसीबतो से
जीते जी तेरी रुसवाई न सह सकूंगा
जरुरत नही दुनिया के रहमो करम की
गर मिला न तेरा साथ मुर्दा बन रहूंगा
तू मिले न मिले गम नहीं करता “धर्म”
अफ़सोस मगर बिन तेरे जिन्दा न रहूँगा !!
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@——डी. के. निवातियाँ —[email protected]
Nice sir …!!
शुक्रिया अनुज !!