Homeअज्ञात कविमुसाफिर का सफर मुसाफिर का सफर Rajesh Kumar Verma अज्ञात कवि 17/11/2015 No Comments काश के ज़माने भर के गम पैमाने में आ जाते तोड देता पैमाने मैं तो शायद कुछ कम हो जाते मगर ऐसा होता नहीं है खूब तोड कर देखें हैं पैमाने ये तो आवारा बादल हैं `मुसाफिर ‘ बिन मौसम के भी बरस जाते हैं RKV(MUSAFIR) ***** Tweet Pin It Related Posts प्यार का पैगाम – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा – बिन्दु नफरतों को छोड़कर , कलियाँ बहार की चुन इंसान का चेहरा – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा – बिन्दु About The Author Rajesh Kumar Verma Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.