Homeआलोक धन्वासूर्यास्त के आसमान सूर्यास्त के आसमान शुभाष आलोक धन्वा 24/02/2012 No Comments उतने सूर्यास्त के उतने आसमान उनके उतने रंग लम्बी सडकों पर शाम धीरे बहुत धीरे छा रही शाम होटलों के आसपास खिली हुई रौशनी लोगों की भीड़ दूर तक दिखाई देते उनके चेहरे उनके कंधे जानी -पह्चानी आवाजें कभी लिखेंगें कवि इसी देश में इन्हें भी घटनाओं की तरह! Tweet Pin It Related Posts सफेद रात पहली फ़िल्म की रोशनी आम के बाग़ About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.