“माँ तुम यदि ना होती
तो जीवन यह कैसा होता
बिन यशोदा के कान्हा जैसा
और कौशल्या बिन राम सा होता,
ना होती यदि ममता तेरी
तो शुन्य ये पूरी वसुधा होती
ना होता जो स्नेह तेरा तो
जीवन अमृत कैसे होता ,
ना होती जो डांट तेरी तो
अनुशासन मुझमे ना होता
ना होती जो फटकार तेरी तो
आत्मनिर्भर मै कैसे होता ,
ना होती जो प्यार की थपकियाँ
तो अच्छाईयां ना मुझमे होती
ना होती जो संवेदना तेरी तो
भाव नहीं फिर मुझमे होती ,
ना होता जो आँचल तेरा
तो जीवन भी यह ना होता
ना मिलती जो गोद तेरी
तो मानव जीवन ना होता ,
हे |माँ तू धन्य है
तेरी महिमा अनन्य है
निश्छल सा यह प्यार तेरा
मानव जीवन में सुख सौम्य है ||”