Homeअज्ञात कविमुसाफिर का सफर मुसाफिर का सफर Rajesh Kumar Verma अज्ञात कवि 15/11/2015 No Comments हाद्सा जब कोई दिल के तारों को छेड जाता है कोइ गीत, कोइ गज़ल, कोई कहानी दे जाता है घबराता नहीं हाद्सों से अब मैं इंतजार करता हूं वक़्त गुज़र जाता है किताब का इक सफहा और बढ जाता है R.K.V.(MUSAFIR) ***** Tweet Pin It Related Posts मजदूर और मजबूर दोनों हूँ…मैं। शुरूर “” “”””””””””सविता वर्मा किसान About The Author Rajesh Kumar Verma Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.