रास्ते से जाते वक्त मैंने देखा गरीब बच्चा,
देखने मे मासूम और लग रहा था सच्चा,
हाथो मे गंदी थैली और शर्ट थी मैली,
उनको देख ह्दय कांप गया ,
मानो सांप कांट गया,
उनकी देख आँखो को यू लगा,
उनमे पनप रहा हो कब से सपना,
उनके चहरे के भाव देखकर लगा कहा गया उनका अपना!
मर्मस्पर्शी एवं भावुक रचना
अति सुंदर !!
धन्यवाद ! आपको हमारी रचना पसंद आई!
अच्छा प्रयास है
गरीब बचपन को समझने की गंभीर कोशिश
निर्धनता की सच्चाई का मार्मिक चित्रण हम सभी के मानस पटल पर उकेरने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद “अस्मा जी “….
बरीब बच्चे के माध्यम से निर्धनता का आभास कराने का अच्छा प्रयास !!