काहे का बाल दिवस …..
जब तक हर बच्चा स्कूल जाता न हो
अमीरो के घरो में काम कराना बंद न हो
बाल मजदूरी देश में पूर्णतया बंद न हो
कुपोषण से मिलती उसको मुक्ति न हो
तब तक काहे का बाल दिवस ….!!
कोई बच्चा देश मे शोषण का शिकार न हो
हर चेहरे पर खिलती फूल सी मुस्कान न हो
अपना बचपन जीता हर एक बच्चा न हो
बापू और चाचा का सपना होता साकार न हो
तब तक काहे का बाल दिवस ….!!
जब तक सबको मिला स्वास्थ्य का लाभ न हो
सड़को पे दिखते भूखे नंगो का उद्धार न हो
हाथ फैलाता कोई बच्चा किसी का दास न हो
हर बच्चे को मिलता यंहा पूर्ण अधिकार न हो
तब तक काहे का बाल दिवस ….!!
हर बच्चे को मिले अच्छे संस्कार न हो
विवेकानंद और नानक का ज्ञान न हो
कबीर और रहीम का उनको भान न हो
हर बच्चे के प्रति नजरिया समान न हो
तब तक काहे का बाल दिवस ….!!
—–::०:: डी. के. निवातियाँ ::०::—–
Described very nicely.
आपकी कविता बहुत अच्छी और प्रेरणा दायक है!!
शुक्रिया आशिमा जी …….!!
शुक्रिया गिरिजा जी …….!!
बहुत सत्य, बाल दिवस सिर्फ अखबारों और समाचार चैनेल पर मनाया जाता है
शुक्रिया रिंकी जी …….!!
निवातियाँ जी बहुत सुन्दर भ्हवनाओं का चित्रण
शुक्रिया शिशिर जी …….!!