जिँदगी
हँसती, मुस्कुराती
मंद पवन सी गुनगुनाती
अच्छी लगती है जिंदगी।
दुखोँ से भरी, गहरी खाई सी
अनिश्चिँताओँ से उलझी हुई
चुनौती है जिँदगी।
धूप-छांव सी, पक्ष-प्रतिपक्ष सी,
बादल सी, क्षण-क्षण परिवर्तित
रंग बदलती है जिँदगी।
अर्थ, परिभाषाओँ से बाहर
हवा सी, जल सी,
बंद मुट्ठी से फिसल जाती है जिँदगी।
अच्छी हो या बुरी
याद बन लबोँ पे
मुस्कुराती है जिँदगी।।
-त्रिवाहिनी (दिस.-2011), हरियाणा से प्रकाशित।
Good explation for life………….!!
अच्छे से परिभाषित किया जिंदगी को आपने
मेरी कविता पर अपने विचार देने पर आपका धन्यवाद।